V.S Awasthi

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हिन्दी दिवस




बेटियाँ
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बेटियाँ तो देवी होती हैं हर लोक में पूजी जाती हैं
 दो परिवारों की बगिया बेटियाँ ही तो महकाती हैं
बेटी तो सृजन का श्रोत भी है बेटी ही सृष्टि रचाती है
इसी लिये हर लोक में भी बेटी ही पूजी जाती है
बेटे और बेटियों का जन्म से गहरा नाता है
बेटी ही बहन हुआ करती बेटा ही बहन का भ्राता है
बेटी ,बेटों में फर्क नहीं दोनों को हमें बढा़ना है 
दोनों को हमें पढ़ना है दोनों में फर्क मिटाना है
बेटे सम्पत्ति बंटाते हैं बेटियों की चाह नहीं होती
माँ बाप की सेवा करने में बेटियाँ ही साथ दिया करतीं
अन्जाने में पाप जो होते हैं ईश्वर भी क्षमा नहीं करता
यदि तुमने कन्या दान किया तो ईश्वर उन्हें माफ करता
बेटी लक्ष्मी, बेटी दुर्गा बेटी ही देवी काली है
मानव जीवन की बगिया की बेटी ही सच्ची माली है
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जिस बगिया में तुलसी ना हो वो बगिया सूनी लगती है
जिस गोद में एक बेटी ना हो गोद अधूरी लगती है
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर

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6 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ,,,, दोनों को हमें,,, पढ़ना है में पढ़ाना होगा

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Renu

08-Sep-2022 08:44 PM

Nice

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Reena yadav

08-Sep-2022 04:06 PM

Very nice 👍

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